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मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना – शिक्षा की राह को आसान बनाने की एक सफल पहल

 मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना बिहार सरकार की एक प्रेरणादायक पहल है, जिसका उद्देश्य कक्षा 9वीं में नामांकित छात्राओं को पढ़ाई में नियमितता और सुविधा प्रदान करना है।


🎯 योजना का सारांश

  • लाभार्थी: सरकारी स्कूलों में कक्षा 9वीं पढ़ रही छात्राएँ (बाद में बालक भी शामिल)।

  • प्रारंभ: वर्ष 2006 (2007 से बड़े पैमाने पर)।

  • लाभ राशि: शुरुआती ₹2,000 से बढ़कर अब ₹3,000 DBT के माध्यम से बैंक खाते में।

  • वित्तीय आवंटन: वर्ष 2019 में सीमा ₹3,000 तय की गई, शिक्षा विभाग एवं समाज कल्याण विभाग की संयुक्त पहल।

  • लाभार्थी संख्या: 2007–2024 के बीच लगभग 97 लाख छात्राओं को लाभ मिला।


📊 योजना के प्रमुख प्रभाव

  • शिक्षा में लड़कियों का ड्रॉप‑आउट दर कम हुआ

  • कक्षा 10वीं परीक्षा में लैंगिक भागीदारी और अंक बढ़े

  • एक अध्ययन के अनुसार, यह नामांकन में 32% वृद्धि और लैंगिक अंतर 40% तक घटाने में मददगार साबित हुई।

“the program initially provided ₹2000 to 14‑year‑old girls … increased age‑appropriate secondary school enrollment for girls aged 14‑15 by 32% … reduced the gender gap in enrollment by 40%.” 


📝 पात्रता और आवेदन प्रक्रिया

  • पात्रता:

    • बिहार का स्थायी निवासी

    • सरकारी स्कूल में कक्षा 9वीं में पढ़ रही छात्रा

    • आधार से लिंक बैंक खाता 

  • दस्तावेज़:

    • आधार कार्ड

    • स्कूल आईडी / 8वीं या 9वीं प्रवेश प्रमाण पत्र

    • बैंक पासबुक / IFSC विवरण

    • पासपोर्ट फोटो

    • निवास प्रमाण पत्र 

  • आवेदन (ऑफ़लाइन):

    • स्कूल प्रिंसिपल से फॉर्म लें और सावधानीपूर्वक भरें

    • कागजात संलग्न कर स्कूल में जमा करें

    • स्कूल व जिला शिक्षा विभाग द्वारा सत्यापन

    • ₹3,000 सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में ट्रांसफर 


✅ योजना का उपयोग

  • शिक्षा के प्रति लड़कियों की पहुंच में सुधार

  • घर‑स्कूल दूरियों से होने वाली बाधाएँ कम

  • ग्रामीण क्षेत्र में साक्षरता में योगदान

  • आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवारों में पढ़ाई की प्राथमिकता बढ़ी


📌 संक्षेप:

यह योजना छात्राओं को ₹3,000 की आर्थिक सहायता देती है, जिससे वे साइकिल खरीदकर स्कूल आ‑जा सकें। लगभग 1 करोड़ छात्राओं ने अब तक लाभ उठाया है। अध्ययन कहता है कि इसने स्कूल नामांकन और पढ़ाई में लैंगिक असमानताओं को काफी हद तक कम किया है।




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