Skip to main content

मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं: मन की शांति भी है ज़रूरी

  मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं — अब दिल और दिमाग, दोनों की होगी देखभाल

“अगर शरीर बीमार हो तो हम डॉक्टर के पास जाते हैं… लेकिन जब मन बीमार हो, तब?”


दिल्ली सरकार ने इस सवाल को गंभीरता से लिया और शुरू कीं कई मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं,
ताकि हर व्यक्ति — बच्चा, युवा, महिला या बुज़ुर्ग
अपने मन की बात भी बिना डर, शर्म या झिझक के कह सके… और इलाज भी पा सके।

“क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य, अब कोई लक्ज़री नहीं — यह हक है।”


 क्यों ज़रूरी हैं मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं?

  • तनाव, अकेलापन, परीक्षा का दबाव

  • रिश्तों में दिक्कत, नींद की कमी, डर या घबराहट

  • डिप्रेशन, एंग्जायटी, नशे की आदत, आत्महत्या के विचार
    ये सब सिर्फ “नॉर्मल थकान” नहीं हैं — इलाज योग्य मानसिक समस्याएं हैं।


 दिल्ली में कौन-कौन सी मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं मिलती हैं?

 1. सरकारी अस्पतालों में मानसिक रोग विभाग (Psychiatry OPD)

  • LNJP, IHBAS (दिल्ली का बड़ा मानसिक स्वास्थ्य संस्थान), GTB, DDU जैसे अस्पतालों में

  • डॉक्टर से परामर्श, काउंसलिंग, दवाएं — सब मुफ़्त

  • IHBAS (Institute of Human Behaviour and Allied Sciences) — दिल्ली का प्रमुख संस्थान

 वेबसाइट: http://ihbas.delhigovt.nic.in


 2. स्कूल और कॉलेजों में काउंसलिंग सेवाएं

  • छात्रों के लिए Exam Stress, Peer Pressure, Depression पर

  • प्रशिक्षित काउंसलर उपलब्ध

  • “Happiness Curriculum” और “Desh Ke Mentor” स्कीम से जुड़ा भावनात्मक सहयोग


 3. मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन (Mental Health Helpline)

  • 24x7 टोल फ्री कॉल सेवा

  • मन की बात कहने और समाधान पाने के लिए प्रशिक्षित साइकोलॉजिस्ट

  • तनाव या आत्महत्या जैसे गंभीर मामलों में तुरंत काउंसलिंग या रेफरल

दिल्ली हेल्थ हेल्पलाइन (COVID से शुरू होकर अब नियमित):
 1031 या 1800-11-1441 (मौजूदा हेल्पलाइन)


 4. मोहल्ला क्लिनिक / डिस्पेंसरी में प्राथमिक मानसिक स्वास्थ्य सेवा

  • बुनियादी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सामान्य चिकित्सकों द्वारा सलाह

  • ज़रूरत पर बड़े अस्पताल में रेफर


 5. महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष काउंसलिंग

  • घरेलू हिंसा, ट्रॉमा, यौन हिंसा के बाद भावनात्मक समर्थन

  • महिला हेल्प डेस्क्स, बाल संरक्षण इकाइयों से जुड़ी मनोवैज्ञानिक सेवाएं


 6. कम्युनिटी आउटरीच प्रोग्राम्स

  • IHBAS और स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्लम, स्कूल, वृद्धाश्रम और जेलों में

  • जागरूकता अभियान, फ्री काउंसलिंग कैंप, ग्रुप थैरेपी


 एक सच्ची कहानी:

“मेरे बेटे को Exam Anxiety की वजह से पैनिक अटैक आने लगे थे।
हमें शर्म आती थी बताने में, लेकिन स्कूल काउंसलर ने समझाया कि ये सामान्य है।
IHBAS में इलाज शुरू हुआ — आज वो पहले से ज्यादा आत्मविश्वास से भरा है।”

नीना, लक्ष्मी नगर


 क्या डॉक्यूमेंट चाहिए?

  • सरकारी अस्पतालों में सामान्य ID (जैसे आधार) पर इलाज संभव

  • IHBAS जैसी संस्थाओं में फ्री इलाज, रजिस्ट्रेशन कराना होता है

  • काउंसलिंग के लिए अधिकतर सेवाएं बिना डॉक्यूमेंट या ऑनलाइन उपलब्ध


 क्यों ज़रूरी है मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेना?

“क्योंकि चुप रहना इलाज नहीं होता।
और अब दिल्ली में बात करना भी आसान है, और सुनने वाला भी तैयार है।”



Comments

Popular posts from this blog

Sabla / Kishori Balika Yojana – किशोरियों के स्वास्थ्य, पोषण और आत्मनिर्भरता की ओर मजबूत कदम

सबल योजना / किशोरी बालिका योजना: बेटियों के स्वावलंबन की राह  भारत जैसे देश में जहां बेटियाँ एक तरफ देवी का रूप मानी जाती हैं, वहीं दूसरी ओर कई बार उन्हें शिक्षा, पोषण और सम्मान से वंचित भी रहना पड़ता है। एक किशोरी के जीवन में जब उसका शरीर और मन कई बदलावों से गुजरता है, तब उसे सबसे ज़्यादा मार्गदर्शन, पोषण, स्वास्थ्य और आत्मविश्वास की जरूरत होती है। इसी संवेदना और ज़रूरत को समझते हुए भारत सरकार ने सबल योजना (जिसे किशोरी बालिका योजना भी कहा जाता है) की शुरुआत की — ताकि देश की बेटियाँ न सिर्फ स्वस्थ रहें, बल्कि आत्मनिर्भर भी बनें। किशोरी – एक संवेदनशील मोड़ जब कोई बच्ची 11-18 साल की उम्र में प्रवेश करती है, तो यह उसका शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से सबसे संवेदनशील और निर्णायक समय होता है। इस उम्र में वह न तो पूरी तरह से बच्ची रहती है, न पूरी तरह से वयस्क। वह अपनी पहचान, आत्म-विश्वास और समाज में अपने स्थान को लेकर संघर्ष कर रही होती है। ग्रामीण भारत में स्थिति और भी कठिन है — यहाँ अधिकांश किशोरियाँ या तो स्कूल छोड़ चुकी होती हैं, या घरेलू जिम्मेदारियों में डूब चुकी होती हैं। उन्हे...

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना 2025 – किसानों की समृद्धि

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना – किसानों के समृद्धि की नई उम्मीद भारत की आत्मा गांवों में बसती है, और गांवों की आत्मा हमारे किसान हैं। हर सुबह सूरज की पहली किरण के साथ खेतों में हल जोतता किसान, तपती दोपहर में फसलों को सींचता किसान और रात के अंधेरे में भी अपने खेत की रखवाली करता किसान — यही तो हैं हमारे देश की असली रीढ़। ऐसे में जब केंद्र सरकार किसानों की स्थिति सुधारने और उनकी आमदनी दोगुनी करने की बात करती है, तो यह सिर्फ एक नीति नहीं होती, बल्कि करोड़ों उम्मीदों की नींव होती है। प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना इसी दिशा में उठाया गया एक क्रांतिकारी कदम है। क्या है प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना? प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसका उद्देश्य है — किसानों की आय बढ़ाना, फसलों की उत्पादकता सुधारना, और कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक का समावेश करना। यह योजना किसानों को बेहतर बीज, सस्ती दरों पर उर्वरक, सिंचाई की सुविधा, कृषि यंत्रों पर सब्सिडी और फसल की सही कीमत दिलाने में मदद करती है। इसका मुख्य लक्ष्य यह है कि भारत का हर किसान आत्मनिर्भर बन...

नया राशन कार्ड बनाएं – ऑनलाइन और ऑफलाइन गाइड 2025

ऑनलाइन राशन कार्ड आवेदन करते महिला नया राशन कार्ड कैसे बनाएं – ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके राशन कार्ड केवल एक दस्तावेज नहीं है, यह आम आदमी के अधिकारों और गरिमा की पहचान है। भारत जैसे देश में, जहाँ करोड़ों परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजारते हैं, राशन कार्ड उनके लिए सरकारी सहायता का प्रमुख जरिया है। यह न केवल सस्ता अनाज पाने का हक देता है, बल्कि पहचान, निवास प्रमाण और कई सरकारी योजनाओं से जुड़ने का ज़रिया भी बनता है। ऐसे में यदि आपके पास राशन कार्ड नहीं है, तो यह लेख आपके लिए बेहद जरूरी है। यहाँ हम सरल भाषा में बताएंगे कि नया राशन कार्ड कैसे बनवाएं – वो भी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से, ताकि आपकी जेब और समय दोनों की बचत हो। क्यों ज़रूरी है राशन कार्ड? कल्पना कीजिए कि किसी गरीब बुज़ुर्ग महिला को महीने का गुज़ारा करना है – न कोई पेंशन, न कमाई का जरिया। राशन कार्ड के ज़रिए वह महिला सरकार से 1-2 रुपये किलो में अनाज पाती है, जिससे उसका पेट भरता है। इसी तरह, एक मजदूर परिवार को भी रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरा करने के लिए सरकारी राशन का सहारा होता है। राशन कार्ड के बिना ये सारी मददे...