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ESIC योजना 2025: कर्मचारी की मृत्यु पर आश्रितों को संपूर्ण सहायता

 

कामगार की मृत्यु के बाद उसके परिवार के लिए ESIC योजना वरदान बनती है? पेंशन, मुफ्त इलाज और सम्मानजनक जीवन
पत्नी, बच्चों व माता-पिता को पेंशन, मुफ्त इलाज व आर्थिक सहायता

मृत्यु के बाद आश्रितों की मदद – ESIC योजना का एक चेहरा


प्रस्तावना:

किसी भी परिवार के लिए सबसे बड़ा दुख अपने कमाने वाले सदस्य को खो देना होता है। अचानक हुई मृत्यु न सिर्फ भावनात्मक आघात देती है, बल्कि आर्थिक रूप से भी परिवार को झकझोर देती है। विशेषकर तब, जब परिवार का एकमात्र सहारा चला जाए। इस कठिन समय में सरकार की कुछ योजनाएँ उम्मीद की एक किरण बनकर सामने आती हैं। ऐसी ही एक योजना है – ESIC की मृत्यु के बाद आश्रितों को दी जाने वाली सहायता, जो कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके परिवार को सुरक्षा कवच प्रदान करती है।


ESIC क्या है?

ईएसआईसी (ESIC) यानी कर्मचारी राज्य बीमा निगम, एक सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य बीमा योजना है, जो भारत सरकार द्वारा चलाई जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य श्रमिकों और उनके परिवार को चिकित्सा, दुर्घटना, विकलांगता, और मृत्यु के बाद राहत देना है। यह योजना देश भर के लाखों कामगारों को सस्ती दरों में स्वास्थ्य और आर्थिक सहायता देती है।


मृत्यु के बाद ESIC की सहायता – कैसे मदद करती है ये योजना?

जब किसी कर्मचारी की काम के दौरान या किसी कारणवश मृत्यु हो जाती है, तो उसके आश्रितों – जैसे पत्नी, बच्चे, माता-पिता को इस योजना के तहत कई प्रकार की मुफ्त सेवाएँ और मासिक पेंशन मिलती हैं।


इस योजना के अंतर्गत मिलने वाले प्रमुख लाभ:

1. आश्रित पेंशन (Dependents Benefit):

अगर बीमित कर्मचारी की मृत्यु काम के दौरान या उससे संबंधित दुर्घटना से होती है, तो उसके आश्रितों को पेंशन के रूप में मासिक वेतन का 90% आजीवन दिया जाता है। यह राशि निम्न प्रकार से बंटती है:

  • पत्नी को – जीवनभर मासिक पेंशन

  • बच्चों को – 25 वर्ष की उम्र तक या जब तक वे पढ़ाई कर रहे हों

  • माता-पिता को – यदि मृतक अविवाहित था और माता-पिता पर आश्रित थे

2. मुफ्त चिकित्सा सुविधा:

मृतक कर्मचारी के परिवार को ESIC डिस्पेंसरी और अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा जारी रहती है।

3. अंत्येष्टि सहायता (Funeral Expenses):

मृत्यु के तुरंत बाद अंतिम संस्कार के लिए ₹15,000 तक की राशि परिवार को दी जाती है।

4. शोककालीन सहायता (Grief Assistance):

कुछ मामलों में, असामयिक मृत्यु के कारण परिवार को एकमुश्त सहायता भी दी जाती है, विशेषकर अगर मृत्यु कार्यस्थल पर दुर्घटना से हुई हो।


पात्रता की शर्तें:

  • कर्मचारी ESIC योजना के अंतर्गत पंजीकृत होना चाहिए।

  • मृत्यु काम से संबंधित या बीमारी के चलते होनी चाहिए।

  • कर्मचारी ने न्यूनतम योगदान योजना में दिया हो।


आवेदन प्रक्रिया (सहज और मानवीय):

दुर्भाग्यवश अगर कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो परिवार के किसी सदस्य को निम्नलिखित दस्तावेजों के साथ ESIC कार्यालय में आवेदन करना होता है:

  • मृत्यु प्रमाण पत्र

  • बीमित कर्मचारी का ESI नंबर

  • आश्रितों का पहचान पत्र (आधार, राशन कार्ड)

  • बैंक खाता विवरण

  • शादी का प्रमाण (अगर पत्नी आवेदन कर रही हो)

  • बच्चों की जन्म तिथि के प्रमाणपत्र

नोट: अब कई कार्यालयों में यह आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन भी संभव है, जिससे समय और भागदौड़ दोनों कम होते हैं।


 यह योजना कितनी जरूरी है?

हमारे देश में लाखों मजदूर और कामकाजी लोग दिन-रात मेहनत करते हैं, जिनकी मासिक आय ₹15,000-₹21,000 के बीच होती है। ऐसे में उनके जाने के बाद परिवार का भविष्य अंधेरे में चला जाता है। कई बच्चे अनाथ हो जाते हैं, महिलाएँ विधवा होकर आर्थिक रूप से असहाय हो जाती हैं।

इस योजना के जरिए सरकार यह सुनिश्चित करती है कि:

  • किसी मजदूर के परिवार को भूखा न सोना पड़े

  • बच्चों की पढ़ाई जारी रह सके

  • माँ-बाप बेसहारा न हो जाएँ

  • और सबसे ज़रूरी – उनकी मेहनत का सम्मान उनकी अनुपस्थिति में भी बना रहे


एक सच्ची कहानी – शारदा देवी का अनुभव

शारदा देवी, भोपाल के एक छोटे से मोहल्ले में रहती हैं। उनके पति रामेश्वर जी एक फैक्ट्री में मजदूर थे और ESIC से जुड़े हुए थे। एक दिन फैक्ट्री में काम करते वक्त उनकी अचानक मृत्यु हो गई। शारदा देवी के सामने अंधेरा छा गया। दो छोटे बच्चों की ज़िम्मेदारी, किराया, स्कूल की फीस – सबकुछ जैसे टूट पड़ा।

लेकिन ESIC की मदद ने उनकी जिंदगी की दिशा बदल दी।

  • उन्हें तुरंत ₹15,000 की अंत्येष्टि सहायता मिली

  • फिर हर महीने उन्हें ₹6,000 की पेंशन मिलने लगी

  • उनके दोनों बच्चों को मुफ्त इलाज और स्कूल हेल्थ कार्ड मिलने लगा

शारदा देवी कहती हैं –

"मेरे पति तो नहीं रहे, लेकिन ESIC ने उनके नाम को जीवित रखा। आज मैं अपने बच्चों को पढ़ा पा रही हूँ, क्योंकि सरकार ने हमारी सुध ली।"


कुछ ज़रूरी सलाहें:

  1. अगर आप एक कामकाजी कर्मचारी हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपका ESI नंबर और कार्ड सक्रिय है।

  2. परिवार को ESI योजना और उसके लाभों के बारे में जानकारी दें।

  3. किसी दुर्घटना या बीमारी की स्थिति में कंपनी और ESIC को तत्काल सूचित करें

  4. समय-समय पर अपने दस्तावेज अपडेट कराएं, जैसे परिवार का नाम, नॉमिनी आदि।


निष्कर्ष:

ESIC की मृत्यु के बाद आश्रितों को दी जाने वाली सहायता सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि एक सहानुभूति से भरी नीति है। यह योजना बताती है कि सरकार सिर्फ कर्मचारियों के जीवन तक नहीं, बल्कि उनके जाने के बाद भी उनके परिवार का साथ निभाती है।

अगर आप एक कर्मचारी हैं या कोई मजदूर आपके संपर्क में है, तो उसे इस योजना के बारे में बताइए। यह न सिर्फ जानकारी है, बल्कि किसी की आने वाली ज़िंदगी को संवारने वाला सच है।


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ESIC मृत्यु के बाद सहायता – FAQ

ESIC मृत्यु के बाद सहायता – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मृत्यु के बाद किन आश्रितों को सहायता मिलती है?
कर्मचारी की पत्नी, नाबालिग बच्चे, विधवा माता और आश्रित पिता को ESIC योजना के तहत लाभ दिए जाते हैं।
2. मिलने वाले लाभ कौन-कौन से हैं?
मासिक पेंशन, मुफ्त इलाज, अंत्येष्टि खर्च ₹15,000 तक, बच्चों को छात्रवृत्ति और सामाजिक सुरक्षा सहायता।
3. पेंशन राशि कितनी मिलती है?
मृत कर्मचारी की मासिक सैलरी का 90% आश्रितों में वितरित किया जाता है। पत्नी को जीवनभर और बच्चों को 25 साल तक पेंशन मिलती है।
4. क्या मृत्यु कार्यस्थल पर होनी जरूरी है?
नहीं, कर्मचारी की मृत्यु कार्यकाल के दौरान किसी भी समय हो सकती है।
5. आवेदन कैसे करें?
ESIC शाखा में आवेदन पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, पहचान पत्र और बैंक डिटेल के साथ जमा करें।
6. लाभ कब तक मिलते हैं?
अंत्येष्टि खर्च एकमुश्त, पेंशन मासिक, मेडिकल व छात्रवृत्ति समय-समय पर मिलती है।
7. कम योगदान पर भी लाभ मिलेगा?
हाँ, अगर मृत्यु कार्य से संबंधित दुर्घटना से हुई हो तो योगदान की अवधि की शर्त नहीं होती।
8. प्रक्रिया में कितना समय लगता है?
दस्तावेज पूरे होने पर 15 से 45 दिन में लाभ शुरू हो जाते हैं।
9. माता-पिता को भी सहायता मिलती है?
अगर वे पूरी तरह से आश्रित हैं, तो हाँ – उन्हें भी पेंशन व चिकित्सा लाभ मिलते हैं।
10. संपर्क कहां करें?
टोल-फ्री नंबर 1800-11-2526 या www.esic.gov.in पर संपर्क करें।

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