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MP Civil Service Promotion Scheme for PwD – दिव्यांग सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन में 6% आरक्षण और ₹20‑30 हज़ार प्रोत्साहन!

 

"दिव्यांग सरकारी अधिकारी को प्रमाण पत्र और सम्मान प्रदान करते हुए"

“Civil Service Incentive Scheme for Disabled Persons” (दिव्यांगों के लिए सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना) — जो भारत सरकार द्वारा लागू प्रावधानों और राज्य स्तर की पहलों पर आधारित है:


 परिचय: जब अधिकारी बनना हो लक्ष्य

एक दिव्यांग व्यक्ति के लिए सरकारी सेवा चुनना, पदोन्नति पाना और करियर में विकास करना सिर्फ नौकरी की बात नहीं—यह आत्मसम्मान, सामाजिक मान्यता और आर्थिक स्वावलंबन की ओर एक बड़ी छलांग है।

लेकिन कई बार सुविधाओं की अनुपस्थिति, प्रशिक्षण की कमी, और पदोन्नति की राह में सामाजिक व शारीरिक बाधाएं आगे बढ़ने में अड़चन बन जाती हैं। यही वजह है कि सरकार और न्यायपालिका ने “Civil Service Incentive Scheme for Disabled Persons” जैसी पहलों को मजबूती से लागू किया है।


 कानूनी आधार: आरक्षित नियम और निर्णय

 आरक्षण, प्रोमोशन और समान अवसर:

  • भारत सरकार ने केंद्र और राज्य नौकरियों में 3% आरक्षण सुनिश्चित किया है, जहाँ:

    • 1% दृष्टिबाधित,

    • 1% श्रवण दोष वाले,

    • 1% गतिशीलता बाधा वाले (Locomotor / Cerebral Palsy) शामिल हैं।

  • आरक्षण खाली नहीं रह जाता — यदि किसी वर्ष में आरक्षित पद नहीं भर पाए, तो इसे अगले तीन वर्ष तक रोटर सिस्टम से ट्रांसफर किया जाएगा ।

  • उम्र सीमा में छूट — दिव्यांग उम्मीदवारों को सरकारी भर्ती में 10 वर्षों तक की छूट मिलती है ।

  • पदोन्नति में कोई बाधा नहीं होगी — Rights of Persons with Disabilities Act, 2016 के सेक्शन 20(3–4) के अनुसार, दिव्यांग कर्मचारियों को उनके कर्तव्यों का पारदर्शी और निष्पक्ष आयोजन किया जाना चाहिए, और किसी भी आधार पर पदोन्नति से वंचित नहीं किया जा सकता ।

 न्यायालय की वकालत:

  • हाल ही में राजस्थान हाई कोर्ट ने आदेश दिए कि एक नौकरीपेशा इंजीनियर, जो नौकरी के दौरान दिव्यांग हुए, उसे आरक्षण के तहत निवृत्ति तक पदोन्नति, वेतन और बकाया लाभ मिलने चाहिए ।

  • ऑडिशा में दिव्यांग सरकारी कर्मचारियों की संघटनाओं ने 4% प्रमोशन आरक्षण लागू करने की मांग की—क्योंकि पिछले आदेशों के बावजूद उसे अभी लागू नहीं किया गया है ।

ये घटनाएं इस बात की याद दिलाती हैं कि पदोन्नति में भी आरक्षण और सुविधा देने में सुधार की अभी जरूरत है


 स्कीम की विशेषताएँ

 1. Clear Roster और 4% Promotion Quota

  • पदसंरचना में 100‑पॉइंट रोस्टर सिस्टम अनुसार पद आरक्षित होंगे।

  • हर 25वें नंबर पर पदोन्नति आरक्षण देना अनिवार्य।

  • यदि कोई दिव्यांग अधिकारी जगह न पाए, तो सामान्य कोटे के पदों पर भी पदोन्नति का अधिकार मिलेगा ।

 2. Age Relaxation / Fee Concessions / Posting Benefits

  • मांगी गई आयु सीमा में 10 वर्ष की छूट सीधे लागू है।

  • भर्ती या भर्ती परीक्षाओं में आवेदन/परीक्षा शुल्क में छूट प्रदान की जाती है ।

  • योग्य कार्यालयों में निकटता के आधार पर पोस्टिंग का आग्रह स्वीकार किया जाता है ।

 3. No denial on medical grounds

  • यदि नौकरी के दौरान दिव्यांगता आती है, तो व्यक्ति को सेवा से नहीं निकाला जाएगा, बल्कि समान वेतनमान वाले अन्य पद पर स्थानांतरित किया जाएगा ।


 राज्य-स्तरीय पहल: MP में जोड़ें संकेत

  • मध्य प्रदेश के Social Justice विभाग ने e-KYC, LSK, CSC कियोस्क जैसी डिजिटल चैनलों के माध्यम से Civil Service Incentive Scheme लागू की है – जिससे दिव्यांग कर्मचारी घर बैठे, अपने लाभ का आग्रह कर सकते हैं।

  • UPSRTC/राज्य परिवहन नीटों में दिव्यांगों को 75% तक बस किराया छूट दी जाती है। (उ.प्र. सहित अलग-अलग राज्यों में) 


 वास्तविक असर

व्यक्तियों के अनुभव:

  • राजस्थान के इंजीनियर की कहानी यह दर्शाती है कि अधिकार मांगना भी सशक्त बनाता है — प्रशासन को भी जागरूक होना पड़ता है।

  • ओडिशा का मामला बताता है कि कर्मियों की आवाज़ उठाना कितना जरूरी है—क्योंकि न्याय व्यवस्था और कानून के दस्तावेज मौजूद होने पर भी देरी होती है

संस्थागत परिवर्तन:

  • कंप्लीट पदाधिकारी सूची में Rosterमैकेनिज्म लागू होना शुरू हो गया

  • जारी योग्यकरण में उम्मीदवारों की भागीदारी बढ़ी, जिससे आरक्षण का मकसद पूरा हो रहा है।


 चुनौतियाँ और समाधान

समस्या समाधान सुझाव
आरक्षण की सटीक निगरानी का अभाव DSP विभाग रोस्टर और Dashboard बनाएं
पदोन्नति में देरी और विरोध Internal grievance/redressal system बेहतर करें
बहुत कम awareness कर्मचारी HR training + sensitization workshops ज़रूरी
तकनीकी अपूर्णताएँ e-district पोर्टल में अपडेटेड स्टेटस दें

 आगे की राह

  1. Roster प्रणाली को वास्तविक समय में ट्रैक करना चाहिए, ताकि हर पद आरक्षित नंबरानुसार भरा जा सके।

  2. Best Practices साझा करना चाहिए—MP, UP, राजस्थान जैसे राज्यों की रिपोर्ट एक प्लेटफॉर्म पर पहुंची हो।

  3. Promotional transparency के लिए online valuator dashboards, SMS alerts और grievance channels अनिवार्य हों।

  4. Sensitization और training modules—HR, DOP, Commissioners—सतत करनी चाहिए, ताकि भावनात्मक और प्रशासनिक तैयारी बनी रहे।


 निष्कर्ष: अधिकार है, इन्सेंटिव है

Civil Service Incentive Scheme for Disabled Persons केवल योजनाओं का समूह नहीं है, बल्कि यह उस विश्वास की पहचान है कि दिव्यांग व्यक्ति भी समान अवसर के पैमाने पर खड़े हैं

चाहे वह उम्र सीमा में छूट, पदोन्नति में आरक्षण, भौतिक या चिकित्सा चुनौती के बावजूद पद सुरक्षित बनाने की व्यवस्था, या किसी डायरेक्ट कोर्ट/राज्य आदेश के जरिए अधिकारकारिता बताई जाना—यह सब योजना का मानवपूर्ण असर दिखाता है।

यदि आप या आपका परिवार किसी सरकारी विभाग में कार्यरत हैं और दिव्यांगता के चलते बाधा महसूस हो रही है, या आप पदोन्नति, ट्रांसफर, भत्ते, या अन्य सुविधाओं के बारे में जानना चाहते हैं—मैं आपकी मदद करने के लिए यहाँ हूँ। InputStream में आगे बढ़ें, क्योंकि आपका आत्मसम्मान हमारा मिशन है। 

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FAQ - Civil Service Incentive Scheme for Disabled Persons

❓ सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना – दिव्यांग व्यक्तियों के लिए FAQ

यह योजना उन दिव्यांग व्यक्तियों के लिए है जो भारत की सिविल सेवाओं में कार्यरत हैं और सेवा के दौरान या उससे पहले दिव्यांगता का सामना कर रहे हैं।

मुख्य लाभों में पदोन्नति में आरक्षण, आयु सीमा में छूट, परीक्षा शुल्क में रियायत, समुचित पोस्टिंग और चिकित्सा के दौरान सेवा सुरक्षा शामिल हैं।

हाँ, यदि कोई कर्मचारी सेवा के दौरान दिव्यांग होता है, तो उसे हटाया नहीं जाएगा बल्कि वैकल्पिक समान वेतनमान वाले पद पर नियुक्त किया जाएगा।

राज्य या केंद्र के समाज कल्याण विभाग की वेबसाइट पर आवेदन किया जा सकता है, या विभाग के माध्यम से HR/सिविल सेवा शाखा में अनुरोध भेजा जा सकता है।

प्रत्येक विभाग में 4% तक पदोन्नति आरक्षित की जाती है। यदि कोई पद खाली रहता है, तो अगले तीन वर्षों तक इसे carry forward किया जा सकता है।

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