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Industrial Relations Code 2020 – कर्मचारियों और नियोक्ताओं के अधिकार, नियम और लाभ | Progress India

एक लकड़ी की मेज पर औद्योगिक संबंध कोड 2020 का दस्तावेज रखा हुआ है, जिसमें पृष्ठभूमि में कार्यालय की अलमारी और अन्य कागजात दिखाई दे रहे हैं।
हड़ताल के नए नियम – Industrial Relations Code 2020

Progress India – Industrial Relations Code, 2020

1. कोड का परिचय

  • प्रोग्रेस इंडिया

    भारत के श्रम कानून सुधारों का अहम हिस्सा है।

  • इसका मकसद है – कर्मचारियों, नियोक्ताओं और ट्रेड यूनियनों के बीच संतुलन बनाना

  • पहले के तीन कानूनों को मिलाकर यह कोड बनाया गया है:

    1. Trade Unions Act, 1926

    2. Industrial Employment (Standing Orders) Act, 1946

    3. Industrial Disputes Act, 1947


2. यह कोड क्यों जरूरी है?

  • पुरानी व्यवस्थाएं जटिल और लंबी प्रक्रिया वाली थीं।

  • विवाद सुलझाने में समय और पैसे दोनों का नुकसान होता था।

  • उद्योगों में बदलाव, ऑटोमेशन और नई वर्क कल्चर के लिए सरल और आधुनिक कानून की जरूरत थी।


3. Industrial Relations Code, 2020 के मुख्य उद्देश्य

  • श्रमिकों और नियोक्ताओं के अधिकार और कर्तव्य स्पष्ट करना

  • हड़ताल और तालाबंदी को रेगुलेट करना।

  • कर्मचारियों की नौकरी से निकासी (Retrenchment) और बोनस/मुआवजा की प्रक्रिया तय करना।

  • विवाद समाधान के लिए तेज और पारदर्शी सिस्टम बनाना।


4. मुख्य प्रावधान – एक नजर में

  • हड़ताल की नई प्रक्रिया – हड़ताल करने से पहले 14 दिन का नोटिस देना जरूरी।

  • छंटनी और बंदी के नियम – 300 या अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार से अनुमति लेनी होगी।

  • स्टैंडिंग ऑर्डर्स – 300+ कर्मचारियों वाली कंपनियों को रोजगार की शर्तें लिखित रूप में जारी करनी होंगी।

  • ट्रेड यूनियन मान्यता – बहुमत (50% सदस्यता) वाली यूनियन को ‘मान्यता प्राप्त यूनियन’ का दर्जा।

  • विवाद समाधान तंत्र – Industrial Tribunal और National Industrial Tribunal की भूमिका मजबूत की गई।


5. कर्मचारियों के लिए फायदे

  • नौकरी में सुरक्षा – मनमानी छंटनी रोकने के लिए सख्त प्रावधान।

  • बेहतर बातचीत का मौका – मान्यता प्राप्त यूनियन के जरिए बातचीत आसान।

  • हड़ताल का कानूनी संरक्षण – निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने पर।

  • मुआवजे का अधिकार – छंटनी/बंदी की स्थिति में।


6. नियोक्ताओं के लिए फायदे

  • स्पष्ट कानूनी ढांचा – विवाद और कानूनी झगड़े कम होंगे।

  • फ्लेक्सिबिलिटी – बदलते मार्केट के अनुसार वर्कफोर्स मैनेजमेंट आसान।

  • एकीकृत कानून – तीन अलग-अलग कानूनों की जगह एक ही कोड का पालन।


7. हड़ताल के नियम – स्टेप बाय स्टेप

  1. हड़ताल का प्रस्ताव पारित करें।

  2. कम से कम 14 दिन पहले लिखित नोटिस दें

  3. नोटिस के बाद 60 दिन के अंदर हड़ताल होनी चाहिए

  4. सरकारी मध्यस्थता के दौरान हड़ताल नहीं की जा सकती।


8. छंटनी और बंदी की प्रक्रिया

  • 300 से कम कर्मचारी – सीधे प्रक्रिया अपनाकर छंटनी संभव।

  • 300 या अधिक कर्मचारी – सरकार से पूर्व अनुमति जरूरी।

  • कर्मचारियों को नोटिस पीरियड + मुआवजा देना अनिवार्य।


9. ट्रेड यूनियन मान्यता

  • एक ही संस्थान में कई यूनियन हो सकती हैं, लेकिन

    • 50% से अधिक सदस्यता वाली यूनियन को ‘सिंगल बर्गेनिंग एजेंट’ का दर्जा।

    • अगर कोई भी यूनियन 50% तक नहीं पहुंची, तो टॉप 3 यूनियन मिलकर प्रतिनिधि चुनेंगी।


10. विवाद समाधान के तरीके


11. कर्मचारियों को क्या करना चाहिए?

  • अपने अधिकार और प्रक्रियाओं को जानें।

  • हड़ताल या विवाद में कानूनी नोटिस और समय सीमा का पालन करें।

  • मान्यता प्राप्त यूनियन से जुड़े रहें।

  • अनुशासन और रोजगार शर्तों का पालन करें।


12. नियोक्ताओं को क्या करना चाहिए?

  • रोजगार की शर्तें लिखित में दें (Standing Orders)।

  • छंटनी/बंदी से पहले कानूनी अनुमति लें।

  • विवादों को शुरुआती स्तर पर ही सुलझाने की कोशिश करें।

  • ट्रेड यूनियनों के साथ संवाद बनाए रखें


13. आम गलतफहमियां

  • "कोड से हड़ताल बैन हो गई" ❌ – नहीं, सिर्फ प्रक्रिया सख्त हुई है।

  • "नियोक्ता मनमाने तरीके से छंटनी कर सकते हैं" ❌ – नहीं, 300+ कर्मचारियों पर सरकारी अनुमति जरूरी।

  • "ट्रेड यूनियन खत्म हो जाएंगी" ❌ – नहीं, बल्कि उन्हें औपचारिक मान्यता मिलती है।


14. Industrial Relations Code का प्रभाव

  • वर्कप्लेस पर अनुशासन बढ़ेगा।

  • उद्योगों में स्थिरता आएगी।

  • कानूनी लड़ाईयों में कमी होगी।

  • कर्मचारियों और नियोक्ताओं में विश्वास और संवाद बेहतर होगा।


15. एक्शन प्लान – अगर आप कर्मचारी हैं

  • ✅ अपने रोजगार दस्तावेज संभाल कर रखें।

  • ✅ यूनियन की गतिविधियों में जागरूक रहें।

  • ✅ विवाद आने पर तुरंत कानूनी सलाह लें।


16. एक्शन प्लान – अगर आप नियोक्ता हैं

  • ✅ HR और लीगल टीम को कोड की ट्रेनिंग दें।

  • ✅ कर्मचारियों के लिए सेफ और निष्पक्ष माहौल बनाएं।

  • ✅ विवाद बढ़ने से पहले सुलझाएं।


17. Industrial Relations Code 2020 – अब कामकाजी रिश्ते होंगे और भी पारदर्शी!

Industrial Relations Code, 2020 भारत के श्रम कानूनों को सरल, स्पष्ट और आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
यह न केवल कर्मचारियों की सुरक्षा और अधिकार सुनिश्चित करता है, बल्कि नियोक्ताओं को भी पारदर्शी और स्थिर माहौल देता है।


अगर आप चाहें तो 

सोशल सिक्योरिटी कोड 2020: कर्मचारियों और श्रमिकों के लिए संपूर्ण गाइड | Progress India

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OPS (Old Pension Scheme) – सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना की पूरी गाइड | Progress India

FAQs

Q1. Industrial Relations Code 2020 क्या है?
यह भारत का नया श्रम कानून है, जो कर्मचारियों, नियोक्ताओं और ट्रेड यूनियनों के अधिकार और जिम्मेदारियां तय करता है।

Q2. हड़ताल के लिए क्या नियम हैं?
हड़ताल करने से पहले 14 दिन का लिखित नोटिस देना जरूरी है और नोटिस के 60 दिन के भीतर हड़ताल करनी होगी।

Q3. छंटनी के लिए क्या प्रावधान हैं?
300 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को छंटनी या बंदी के लिए सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होगी।

Q4. ट्रेड यूनियन को मान्यता कैसे मिलती है?
यदि किसी यूनियन के पास 50% से अधिक सदस्यता है, तो उसे मान्यता प्राप्त यूनियन का दर्जा दिया जाएगा।

Q5. इस कोड से कर्मचारियों को क्या फायदा है?
नौकरी की सुरक्षा, हड़ताल का कानूनी संरक्षण, मुआवजे का अधिकार और विवाद समाधान की स्पष्ट प्रक्रिया।

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