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NEEEV: जब स्कूली छात्र सीखें बिज़नेस, इनोवेशन और लीडरशिप के असली पाठ

 NEEEV (New Era of Entrepreneurial Ecosystem & Vision) – दिल्ली के स्कूली बच्चों के लिए स्टार्टअप और उद्यमिता की दुनिया का पहला कदम

दिल्ली सरकार अब सिर्फ बच्चों को पढ़ा ही नहीं रही, बल्कि उन्हें "Job Seeker" नहीं, "Job Creator" बनाने की दिशा में भी आगे बढ़ा रही है। इसी सोच के साथ शुरू की गई है — NEEEV योजना, जो कक्षा 8वीं से 12वीं तक के छात्रों को बिज़नेस, फाइनेंशियल समझ और उद्यमिता सिखाने का मौका देती है।


 NEEEV क्या है?

NEEEV यानी New Era of Entrepreneurial Ecosystem & Vision एक ऐसी पहल है, जिसमें बच्चों को स्कूल के दौरान ही:

  • स्टार्टअप सोच

  • डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy)

  • वित्तीय समझ (Financial Literacy)

  • प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स

  • और रील-लाइफ बिज़नेस चलाने का अनुभव
    सिखाया जाएगा।


योजना की खास बातें:

स्कूलों में "Entrepreneurial Clubs" बनाए जाएंगे:

जहाँ बच्चे एक टीम बनाकर अपना छोटा सा स्टार्टअप आइडिया बनाएंगे।

₹20,000 तक की ग्रांट:

हर टीम को आइडिया पर काम करने और उसका प्रोटोटाइप बनाने के लिए ₹20,000 तक की आर्थिक मदद दी जाएगी।

वर्कशॉप्स और मेंटरशिप:

उद्योग जगत (industry experts), स्टार्टअप फाउंडर और ट्रेनर बच्चों को सीधे गाइड करेंगे।

बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा:

बच्चा अगर 9वीं में है और खुद अपना एक छोटा बिज़नेस आइडिया बना सकता है — तो सोचिए, 10 साल में वह क्या बना सकता है!


उद्देश्य क्या है?

“हर बच्चे के अंदर एक लीडर होता है, बस उसे पहचानने और निखारने की ज़रूरत होती है।”

NEEEV इसी विचार पर काम करता है:

  • बच्चों में नई सोच और बदलाव लाने की हिम्मत पैदा करना।

  • उन्हें सिर्फ नौकरी पाने लायक नहीं, दूसरों को नौकरी देने लायक बनाना।


शिक्षक की नज़र से:

“पहले बच्चे ये सोचते थे कि बिज़नेस तो बड़े लोग करते हैं, अब वे खुद पूछते हैं – ‘मैं भी स्टार्टअप शुरू कर सकता हूँ क्या?’ और जवाब है – हाँ, बिल्कुल!”


 आप क्या कर सकते हैं?

  • अगर आपका बच्चा 8वीं से 12वीं में है, तो जानिए क्या उसके स्कूल में ये योजना लागू है।

  • स्कूल से संपर्क करें और entrepreneurial क्लब में शामिल होने की जानकारी लें।

  • बच्चे को मोटिवेट करें कि वो अपने आइडिया पर सोचे, नोट बनाए और टीम के साथ बात करे।


NEEEV सिर्फ एक योजना नहीं — ये बच्चों की सोच, आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास का नया युग है।
दिल्ली के बच्चों को अब भविष्य की नौकरियों की चिंता नहीं, अपना रास्ता खुद बनाने की आज़ादी है।


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