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मध्य प्रदेश दिव्यांग और नेत्रहीन कल्याण योजनाएँ 2025 – हर अधिकार, हर सहारा

"तीन दिव्यांग व्यक्तियों की प्रेरणादायक छवियाँ – एक दृष्टिबाधित युवक रात में वायलिन बजाते हुए, एक व्हीलचेयर पर बैठा युवक प्रोफ़ाइल में, और एक युवती बाहर दीवार पर रंगीन चित्र बनाते हुए – नीचे लिखा है 'मानवीय दृष्टिकोण से दृष्टि और दिशा'।"

मध्य प्रदेश में दिव्यांग और नेत्रहीनों के लिए सरकारी योजनाएँ – एक मानवीय दृष्टिकोण से दृष्टि और दिशा



 प्रस्तावना – जब समाज सबके लिए हो, तभी वह संपूर्ण होता है
एक सभ्य और संवेदनशील समाज वही होता है जहाँ हर नागरिक को समान अवसर, सम्मान और अधिकार मिले – चाहे वह शारीरिक रूप से सक्षम हो या दिव्यांग। भारत में करोड़ों लोग किसी न किसी रूप में दिव्यांगता के साथ जीवन जीते हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा दृष्टिबाधित यानी नेत्रहीनों का है।
मध्य प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कई सराहनीय प्रयास किए हैं – जहाँ न केवल दिव्यांग जनों के अधिकारों की रक्षा होती है, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आर्थिक, सामाजिक, और शैक्षिक सहयोग भी प्रदान किया जाता है।

एक सभ्य और संवेदनशील समाज वही होता है जहाँ हर नागरिक को समान अवसर, सम्मान और अधिकार मिले – चाहे वह शारीरिक रूप से सक्षम हो या दिव्यांग। भारत में करोड़ों लोग किसी न किसी रूप में दिव्यांगता के साथ जीवन जीते हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा दृष्टिबाधित यानी नेत्रहीनों का है।
मध्य प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कई सराहनीय प्रयास किए हैं – जहाँ न केवल दिव्यांग जनों के अधिकारों की रक्षा होती है, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आर्थिक, सामाजिक, और शैक्षिक सहयोग भी प्रदान किया जाता है।
एक सभ्य और संवेदनशील समाज वही होता है जहाँ हर नागरिक को समान अवसर, सम्मान और अधिकार मिले – चाहे वह शारीरिक रूप से सक्षम हो या दिव्यांग। भारत में करोड़ों लोग किसी न किसी रूप में दिव्यांगता के साथ जीवन जीते हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा दृष्टिबाधित यानी नेत्रहीनों का है।
मध्य प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कई सराहनीय प्रयास किए हैं – जहाँ न केवल दिव्यांग जनों के अधिकारों की रक्षा होती है, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आर्थिक, सामाजिक, और शैक्षिक सहयोग भी प्रदान किया जाता है।एक सभ्य और संवेदनशील समाज वही होता है जहाँ हर नागरिक को समान अवसर, सम्मान और अधिकार मिले – चाहे वह शारीरिक रूप से सक्षम हो या दिव्यांग। भारत में करोड़ों लोग किसी न किसी रूप में दिव्यांगता के साथ जीवन जीते हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा दृष्टिबाधित यानी नेत्रहीनों का है।
मध्य प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कई सराहनीय प्रयास किए हैं – जहाँ न केवल दिव्यांग जनों के अधिकारों की रक्षा होती है, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आर्थिक, सामाजिक, और शैक्षिक सहयोग भी प्रदान किया जाता है।

एक सभ्य और संवेदनशील समाज वही होता है जहाँ हर नागरिक को समान अवसर, सम्मान और अधिकार मिले – चाहे वह शारीरिक रूप से सक्षम हो या दिव्यांग। भारत में करोड़ों लोग किसी न किसी रूप में दिव्यांगता के साथ जीवन जीते हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा दृष्टिबाधित यानी नेत्रहीनों का है।
मध्य प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कई सराहनीय प्रयास किए हैं – जहाँ न केवल दिव्यांग जनों के अधिकारों की रक्षा होती है, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आर्थिक, सामाजिक, और शैक्षिक सहयोग भी प्रदान किया जाता है।

एक सभ्य और संवेदनशील समाज वही होता है जहाँ हर नागरिक को समान अवसर, सम्मान और अधिकार मिले – चाहे वह शारीरिक रूप से सक्षम हो या दिव्यांग। भारत में करोड़ों लोग किसी न किसी रूप में दिव्यांगता के साथ जीवन जीते हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा दृष्टिबाधित यानी नेत्रहीनों का है।
मध्य प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कई सराहनीय प्रयास किए हैं – जहाँ न केवल दिव्यांग जनों के अधिकारों की रक्षा होती है, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आर्थिक, सामाजिक, और शैक्षिक सहयोग भी प्रदान किया जाता है।

 दिव्यांग और दृष्टिबाधित – एक सशक्त परिभाषा

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में लाखों ऐसे नागरिक हैं जो किसी न किसी शारीरिक, मानसिक, श्रवण या दृष्टि बाधा से ग्रसित हैं। इन व्यक्तियों को सरकार ने ‘दिव्यांग’ शब्द से संबोधित कर उनकी विशेष क्षमताओं को सम्मान देने का प्रयास किया है।
दृष्टिबाधित यानी नेत्रहीन नागरिकों को समाज में अक्सर दया की दृष्टि से देखा जाता है, लेकिन ये वही लोग हैं जो संगीत, अध्यापन, खेल, और प्रशासनिक सेवाओं तक में मिसाल बन चुके हैं – बशर्ते उन्हें सही समय पर सही सहायता मिले।

 उद्देश्य – आत्मनिर्भरता, सम्मान और अधिकार

मध्य प्रदेश सरकार की दिव्यांग कल्याण योजनाओं का मूल उद्देश्य है:
दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाना
उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में बराबरी का अवसर देना
सार्वजनिक स्थानों पर पहुँच सुगम बनाना
भेदभाव से मुक्त, सम्मानपूर्ण जीवन सुनिश्चित करना

 प्रमुख योजनाएँ – दृष्टिबाधित और दिव्यांगजनों के लिए

1. दिव्यांगजन शिक्षा सहायता योजना

दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को स्कूल से लेकर कॉलेज तक निशुल्क शिक्षा।
ब्रेल लिपि की पुस्तकें, विशेष शिक्षक और छात्रावास की सुविधा।
परीक्षा में अतिरिक्त समय और सहायक (स्क्राइब) की सुविधा।

2. नेत्रहीनों के लिए ब्रेल प्रेस और डिजिटल लर्निंग सेंटर

भोपाल और जबलपुर में ब्रेल प्रेस की स्थापना, जहाँ पाठ्यक्रम सामग्री ब्रेल में उपलब्ध कराई जाती है।
स्मार्टफोन आधारित ऐप्स (जैसे Be My Eyes, Envision AI) की सहायता से डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा।

3. दिव्यांग विवाह प्रोत्साहन योजना

दिव्यांगजन के विवाह पर ₹2 लाख तक की प्रोत्साहन राशि।
यदि एक पक्ष सामान्य और एक दिव्यांग हो, तब भी सहायता दी जाती है।

4. दिव्यांग पेंशन योजना

40% से अधिक दिव्यांगता प्रमाणित नागरिकों को ₹600 प्रति माह सामाजिक सुरक्षा पेंशन।
BPL कार्डधारी को प्राथमिकता।

5. दिव्यांगजन स्वरोजगार योजना

टूल-किट, प्रशिक्षण और ₹50,000 तक का ऋण आसान शर्तों पर।
विशेष प्रशिक्षण केंद्र, जैसे नेत्रहीनों के लिए मसाज, कॉल सेंटर, संगीत, आदि।

6. नेत्रहीनों हेतु ट्रस्ट और छात्रावास

दृष्टिबाधित बच्चों के लिए भोपाल, रीवा, ग्वालियर जैसे शहरों में छात्रावास।
इन छात्रावासों में शिक्षा, भोजन, वर्दी, स्टेशनरी और ब्रेल सामग्री मुफ्त दी जाती है।

7. UDID कार्ड (Unique Disability ID)

राज्य भर में डिजिटल पहचान – एक कार्ड से सभी सेवाओं तक पहुँच।
स्कूल, हॉस्पिटल, सरकारी योजनाओं में तुरंत लाभ संभव।

 मानवीय कहानियाँ – बदलाव की सच्ची मिसालें

 रवि की रौशनी

रवि उज्जैन जिले के एक छोटे गाँव से हैं। वह जन्म से दृष्टिबाधित हैं। लेकिन माता-पिता ने हार नहीं मानी। सरकारी स्कूल में नामांकन के बाद ब्रेल किताबें मिलीं और छात्रावास में दाखिला मिला। आज रवि ने एम.ए. कर लिया है और गायक बनने की तैयारी कर रहे हैं।
"मेरी दुनिया अंधेरे में नहीं, सुरों में रोशनी है। सरकार की मदद ने मुझे हौसला दिया," – रवि।

नसीम बानो की नई दिशा

भोपाल की नसीम बानो को आंशिक दृष्टिबाधा है। वे कभी किसी पर निर्भर रहती थीं। दिव्यांग स्वरोजगार योजना के तहत उन्हें सिलाई मशीन मिली और कौशल प्रशिक्षण मिला। अब वे 10 और महिलाओं को रोजगार दे रही हैं।

 स्वास्थ्य और पुनर्वास सुविधाएँ

जिला अस्पतालों में नेत्र परीक्षण शिविर
निःशुल्क चश्मा, ऑपरेशन (मोतियाबिंद) की सुविधा
विशेष पुनर्वास केंद्रों में मनोवैज्ञानिक परामर्श

 पहुँच की सुविधा (Accessibility)

सरकारी कार्यालयों, बस अड्डों, और रेलवे स्टेशनों पर रैंप और ब्रेल साइनेज।
दिव्यांगों के लिए अलग बस पास और रिज़र्व सीटें।
ऑनलाइन सेवाओं में स्क्रीन रीडर सपोर्ट।

 आवेदन की प्रक्रिया

दिव्यांग प्रमाण पत्र: जिला अस्पताल में मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी।
UDID कार्ड हेतु आवेदन: www.swavlambancard.gov.in
संबंधित योजना का चयन: लोक सेवा केंद्र या समाज कल्याण विभाग के ज़रिए।
ऑनलाइन ट्रैकिंग और सहायता: Samagra Portal और MP Disability Services App के माध्यम से।

 चुनौतियाँ

गांवों में जागरूकता की कमी
डिजिटल साक्षरता की कमी
कागज़ी कार्यवाही में विलंब
पहुंच में बाधाएँ – जैसे परिवहन और सहायता उपकरणों की कमी

समाधान:

ज़मीनी स्तर पर जानकारी अभियान
दिव्यांग मित्र स्वयंसेवकों की नियुक्ति
मोबाइल हेल्प यूनिट्स
समयबद्ध कार्यान्वयन ट्रैकिंग सिस्टम

 भविष्य की दिशा – सबके लिए समान अवसर

स्कूलों में इन्क्लूसिव शिक्षा
बाजार और कार्यालयों में दिव्यांग अनुकूल इन्फ्रास्ट्रक्चर
प्राइवेट सेक्टर में कोटा और संवेदनशीलता प्रशिक्षण
नेत्रहीनों के लिए ऑडियो बुक्स और स्पीकिंग नोट्स

 निष्कर्ष: दिव्यांगता एक कमजोरी नहीं, एक विशेषता है

मध्य प्रदेश में दिव्यांग और नेत्रहीनों के लिए बनाई गई योजनाएँ केवल राहत नहीं हैं – ये आत्मनिर्भरता, सम्मान और समावेशी विकास की आधारशिला हैं। यह आवश्यक है कि हम सिर्फ सरकार पर नहीं, स्वयं पर भी ज़िम्मेदारी लें कि कोई भी व्यक्ति उसकी अक्षमता के कारण पीछे न छूटे।
"हर किसी के पास कुछ करने की शक्ति है – बस ज़रूरत है सहारे की, भरोसे की, और एक मौका देने की।"
आइए, हम सब मिलकर मध्य प्रदेश को एक ऐसा राज्य बनाएँ जहाँ कोई भी दिव्यांग पीछे न रह जाए – जहाँ हर दृष्टिबाधित नागरिक, हर विशेष आवश्यकता वाला बच्चा, अपने सपनों को पूरा कर सके... आत्मविश्वास से, सम्मान से और गरिमा के साथ।

देवी अहिल्याबाई नारी शक्ति मिशन 2025 – सशक्त नारी, समृद्ध मध्यप्रदेश

लाडली लक्ष्मी पहल – बेटियों को शिक्षा, सम्मान और सुरक्षित -भविष्य की ओर एक सशक्त कदम

ICDS और आंगनबाड़ी सेवाएँ – बच्चों, महिलाओं और गर्भवती -माताओं के लिए संपूर्ण पोषण और देखभाल

मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना – अनाथ बच्चों के लिए शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान की गारंटी

दिव्यांगजन सहायता योजनाएं - FAQ

दिव्यांग और नेत्रहीन जनों के लिए योजनाएँ – सामान्य प्रश्न (FAQ)

40% से अधिक दिव्यांगता प्रमाणित होने पर, और यदि व्यक्ति BPL श्रेणी में आता है, तो वह ₹600 प्रतिमाह पेंशन के लिए पात्र होता है।

ब्रेल पुस्तकें, छात्रावास, सहायक शिक्षक, छात्रवृत्ति और परीक्षा में विशेष सुविधाएं जैसे अतिरिक्त समय और स्क्राइब।

हाँ, दिव्यांगजन स्वरोजगार योजना के अंतर्गत टूलकिट और ₹50,000 तक का अनुदान-ऋण उपलब्ध है। प्रशिक्षण भी निशुल्क दिया जाता है।

दिव्यांग प्रमाण पत्र जिला अस्पताल से प्राप्त करें, फिर UDID पोर्टल या लोक सेवा केंद्र पर जाकर संबंधित योजनाओं के लिए आवेदन करें।

भोपाल, जबलपुर, रीवा, ग्वालियर आदि में दृष्टिबाधित छात्रों के लिए विशेष छात्रावास हैं, जहाँ शिक्षा, भोजन और ब्रेल सामग्री निशुल्क मिलती है।

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