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ICDS और आंगनबाड़ी सेवाएँ – बच्चों, महिलाओं और गर्भवती माताओं के लिए संपूर्ण पोषण और देखभाल

"एक आंगनबाड़ी केंद्र में छोटे बच्चों को पोषण आहार देती हुई कार्यकर्ता, पास में बैठीं गर्भवती महिलाएँ, रंगीन दीवारों और शैक्षणिक चार्ट्स से सजा हुआ कमरा।"


ICDS और आंगनबाड़ी सेवाएँ – बच्चों, महिलाओं और गर्भवती माताओं के लिए संपूर्ण पोषण और देखभाल


प्रस्तावना: माँ और बाल जीवन की नींव हैं

भारत की आत्मा गाँवों में बसती है और गाँवों की नींव होती हैं महिलाएँ और बच्चे। एक माँ जब स्वस्थ होती है, तो उसका बच्चा भी स्वस्थ रहता है। और एक बच्चा जब कुपोषण से मुक्त होता है, तो उसका भविष्य उज्ज्वल बनता है। लेकिन हमारे देश में आज भी कई जगहों पर महिलाओं और बच्चों को उचित पोषण, देखभाल और स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पातीं। इन्हीं जरूरतों को पूरा करने और बच्चों के संपूर्ण विकास को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने शुरू की एक महत्वाकांक्षी योजना – ICDS (एकीकृत बाल विकास सेवा) और इसके केंद्रबिंदु के रूप में आंगनबाड़ी सेवाएं


ICDS: योजना से सेवा तक

ICDS (Integrated Child Development Services) भारत सरकार की एक समग्र योजना है, जिसकी शुरुआत 1975 में की गई थी। इसका उद्देश्य था 6 साल तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा से संबंधित सेवाएं प्रदान करना।

इस योजना के ज़रिए लाखों महिलाओं और बच्चों को बचपन से ही वह सहयोग मिलता है जो उनके जीवन को आकार देता है। ICDS का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ हैं — आंगनबाड़ी केंद्र


आंगनबाड़ी: एक माँ जैसी संस्था

आंगनबाड़ी, जिसका अर्थ है – आंगन में बैठने की जगह, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थापित ऐसे केंद्र हैं जहाँ बच्चों को शुरूआती शिक्षा, पौष्टिक भोजन, और स्वास्थ्य सेवाएं मिलती हैं। यहाँ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सिर्फ एक सरकारी कर्मचारी नहीं होतीं, बल्कि बच्चों की पहली गुरु, माँ जैसी देखभाल करने वाली और समाज की चुपचाप सेवा करने वाली नायिका होती हैं।


ICDS के छह मुख्य घटक

  1. पूरक पोषण आहार – बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गर्म पका हुआ भोजन या टेक-होम राशन।

  2. पूर्व-प्राथमिक शिक्षा – 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को खेल-खेल में अक्षर और गिनती की शिक्षा।

  3. टीकाकरण – छह जानलेवा बीमारियों के खिलाफ नियमित टीकाकरण।

  4. स्वास्थ्य जांच – बच्चों का वजन, लंबाई, और माताओं की स्वास्थ्य स्थिति की नियमित जाँच।

  5. संदर्भ सेवाएँ – गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों और बीमार माताओं को अस्पताल रेफर किया जाता है।

  6. स्वास्थ्य और पोषण शिक्षा – महिलाओं को गर्भावस्था और शिशु पालन की जानकारी दी जाती है।


जीवन में आंगनबाड़ी की भूमिका – कुछ मानवीय झलकियाँ

सीता बाई, एक गरीब आदिवासी महिला, कहती हैं:
"अगर आंगनबाड़ी दीदी नहीं होतीं, तो मुझे नहीं पता था कि गर्भ में बच्चा कैसे संभालना है। उन्होंने ही समझाया कि खाना समय पर खाना, चेकअप कराना और बच्चे का टीकाकरण कितना जरूरी है। आज मेरा बेटा स्वस्थ है और पढ़ने जा रहा है।"

छोटा रोहित, जो कभी बहुत ही कमजोर और कुपोषित था, आज स्कूल में अव्वल है। उसकी माँ बताती हैं:
"जब रोहित का वजन बहुत कम था, आंगनबाड़ी की दीदी ने हमें बुलाकर विशेष पोषण आहार दिया, डॉक्टर से मिलवाया और अब वह मजबूत और चंचल है। हम कृतज्ञ हैं।"


गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान

गर्भवती महिलाएं अक्सर अपने शरीर को नजरअंदाज कर देती हैं, खासकर जब वे आर्थिक रूप से कमजोर होती हैं। आंगनबाड़ी केंद्र इन महिलाओं के लिए पोषण, परामर्श और दवाइयों का जरिया बनते हैं। गर्भवती महिलाओं को आईएफए टैबलेट, फोलिक एसिड, समय-समय पर टेटनस इंजेक्शन, और प्रसव की तैयारी की जानकारी मिलती है। इससे मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में बड़ी गिरावट आई है।


किशोरियों के लिए संबल

ICDS के माध्यम से 11 से 18 वर्ष की किशोरी बालिकाओं को भी विशेष सबल योजना, स्वास्थ्य जांच, हीमोग्लोबिन परीक्षण, और सैनिटरी नैपकिन वितरण जैसी सेवाएँ मिलती हैं। इससे वे न केवल स्वस्थ रहती हैं, बल्कि आत्मविश्वास से भी भरपूर होती हैं।


बच्चों के पोषण में क्रांति

भारत में लंबे समय से कुपोषण एक गंभीर चुनौती रही है। लेकिन ICDS के कारण इसमें सुधार हुआ है:

  • हर महीने बच्चों का वजन और लंबाई मापा जाता है।

  • जो बच्चे कमजोर होते हैं, उन्हें रेडी-टू-ईट, अंडा, दूध, खिचड़ी आदि विशेष आहार दिया जाता है।

  • सेवाओं में सुधार के लिए पोषण ट्रैकिंग एप्लिकेशन (POSHAN Tracker) का उपयोग हो रहा है।


कोविड काल में आंगनबाड़ी की भूमिका

जब दुनिया ठहर गई थी, स्कूल बंद थे, मजदूरी ठप थी — तब भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर बच्चों को राशन पहुंचा रही थीं। कई महिलाओं ने बिना वेतन के भी सेवा दी। बच्चों का पोषण ठहरे नहीं, इसके लिए उन्होंने डोर-टू-डोर डिलीवरी, मोबाइल आंगनबाड़ी, और ऑनलाइन शिक्षा जैसे उपाय किए।


चुनौतियाँ अब भी शेष हैं

  1. कई केंद्रों पर ढांचागत कमी है – भवन जर्जर, टॉयलेट नहीं, पानी की सुविधा नहीं।

  2. कुछ जगह खाद्य सामग्री की गुणवत्ता में लापरवाही।

  3. मानव संसाधन की कमी – कार्यकर्ताओं को समय पर वेतन नहीं मिलना।

  4. टेक्नोलॉजी का अभाव – स्मार्टफोन, नेट की सुविधा सीमित है।

इन समस्याओं के हल के लिए ज़रूरी है:

  • केंद्रों का नवीनीकरण।

  • आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर डिजिटल सेवाओं से जोड़ना।

  • पोषण किट की गुणवत्ता पर सख्त निगरानी।


सरकार की पहलें

  • सक्षम आंगनबाड़ी अभियान

  • पोषण ट्रैकर एप

  • पोषण माह (सितंबर) – विशेष जागरूकता कार्यक्रम

  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ से भी समन्वय
    इन पहलों के ज़रिए सरकार ICDS को और मज़बूत बना रही है।


निष्कर्ष: आंगनबाड़ी – समाज की नींव की रखवाली

ICDS और आंगनबाड़ी सेवाएं सरकार की तरफ़ से नहीं, एक माँ की ममता की तरह हैं – जो चुपचाप पोषण देती है, देखभाल करती है और हर बच्चे, हर महिला की उंगली पकड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाती है।

यह योजना केवल सरकारी आंकड़े नहीं गिनती, यह बचपन को बचाती है, माँ को संबल देती है और समाज की नींव को मजबूत बनाती है।

आइए, हम सभी मिलकर आंगनबाड़ी की इस सेवा को पहचानें, उसका मान बढ़ाएं और उसके माध्यम से भारत के भविष्य – हमारे बच्चों – को स्वस्थ, शिक्षित और सक्षम बनाएं।


"जब आंगनबाड़ी मुस्कुराती है, तो पूरा गाँव खिलखिलाता है।"

-मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना – अनाथ बच्चों के लिए शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान की गारंटी-

-मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना – बेटियों की शादी में सरकार देगी ₹55,000 की सम्मान राशि-

-लाडली बहना योजना और लाडली बहना आवास योजना 2025 – हर बहन के आत्मसम्मान और अपने घर का- -सपना होगा पूरा

-मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना – महिलाओं को मिलेगा आत्मनिर्भरता, सुरक्षा और सम्मान का संबल-

-Sabla / Kishori Balika Yojana – किशोरियों के स्वास्थ्य, पोषण और आत्मनिर्भरता की ओर मजबूत कदम-

ICDS और आंगनबाड़ी सेवाएं - FAQ

ICDS और आंगनबाड़ी सेवाएँ – सामान्य प्रश्न (FAQ)

ICDS (Integrated Child Development Services) भारत सरकार की एक योजना है, जिसका उद्देश्य बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी सेवाएं प्रदान करना है।

आंगनबाड़ी केंद्र एक स्थानीय सेवा केंद्र होता है जहाँ बच्चों को पूर्व-प्राथमिक शिक्षा, पौष्टिक भोजन, टीकाकरण और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जाती हैं। यहाँ गर्भवती महिलाओं को भी देखभाल और परामर्श मिलता है।

  • पूरक पोषण आहार
  • पूर्व-प्राथमिक शिक्षा
  • टीकाकरण
  • स्वास्थ्य जाँच और परामर्श
  • गंभीर रूप से कमजोर बच्चों को रेफर सेवाएं
  • 6 वर्ष तक के बच्चे
  • गर्भवती महिलाएं
  • स्तनपान कराने वाली माताएं
  • 11-18 वर्ष की किशोरियाँ (स्वास्थ्य और पोषण शिक्षा हेतु)

अपने क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र में जाकर रजिस्ट्रेशन कराएं। वहाँ की कार्यकर्ता आपकी आवश्यकताओं के अनुसार सेवाओं के लिए मार्गदर्शन करेंगी और आपके बच्चों को योजना में शामिल करेंगी।

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