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देश के मेंटर स्कीम: जब कोई बड़ा भाई या बहन बन जाए आपके सपनों का साथी

  ‘देश के मेंटर’ स्कीम — जब देश के युवाओं को मिलता है एक सच्चा मार्गदर्शक

“हर बच्चे को कोई ऐसा चाहिए जो कहे — हाँ, तुम कर सकते हो।”


दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लाखों बच्चे पढ़ते हैं —
कुछ डॉक्टर बनना चाहते हैं, कुछ इंजीनियर, कोई आर्टिस्ट, कोई खिलाड़ी…
लेकिन कई बार उनका रास्ता साफ़ नहीं होता, और न ही कोई ऐसा होता है जो रास्ता दिखा सके।

किस कॉलेज में जाना है?
किस कोर्स को चुनना है?
कैसे तय करें कि हम किसमें अच्छे हैं?

इन्हीं सवालों से जूझ रहे बच्चों के लिए शुरू हुई —
👉 ‘देश के मेंटर’ स्कीम
एक ऐसा मानवीय प्रयास, जिसमें देश के युवा प्रोफेशनल्स, कॉलेज स्टूडेंट्स, और अनुभवी लोग बनते हैं —
स्कूल के बच्चों के मार्गदर्शक, उनके मेंटर, उनके बड़े भाई-बहन की तरह।


 ये स्कीम क्या करती है?

“हर बच्चे के पास कोई हो, जो सिर्फ उसे सुनने वाला, समझने वाला, और सही सलाह देने वाला हो।”

‘देश के मेंटर’ स्कीम के तहत, 9वीं से 12वीं तक के छात्रों को एक अनुभवी मेंटर (Mentor) से जोड़ा जाता है,
जो हर हफ्ते 10–15 मिनट फोन कॉल पर उनसे बात करता है —
उनकी पढ़ाई, करियर, पसंद-नापसंद, और जिंदगी से जुड़ी उलझनों पर दोस्ती और गाइडेंस से मदद करता है।


 एक मेंटर और एक छात्र का रिश्ता कैसा होता है?

  • कोई उन्हें सुनता है बिना टोके

  • कोई समझाता है बिना डराए

  • कोई बताता है कि रास्ता कहां से शुरू होता है

  • और सबसे जरूरी — कोई उनमें विश्वास रखता है, जब पूरी दुनिया शक कर रही हो


 यह स्कीम क्यों खास है?

हर छात्र को मिलता है एक रोल मॉडल

  • जो खुद कॉलेज में है या नौकरी में है — और उन्हें अनुभव से सलाह देता है

हर हफ्ते कॉल — दोस्त की तरह बातचीत

  • पढ़ाई, करियर, कॉलेज, स्किल्स, या ज़िंदगी के फैसलों पर चर्चा

एक छात्र, एक सपोर्ट सिस्टम

  • जिससे वह कभी अकेला महसूस न करे

फ्री है, भरोसे से भरी है

  • कोई खर्च नहीं, सिर्फ भरोसे और समझदारी का रिश्ता


 मेंटर कौन बन सकते हैं?

  • 18 से 35 साल के युवा

  • कॉलेज स्टूडेंट्स, नौकरीपेशा लोग, प्रोफेशनल्स

  • जो हफ्ते में थोड़े से समय में किसी बच्चे की ज़िंदगी संवार सकते हैं

“हम सिर्फ 15 मिनट देते हैं, और बदले में किसी की पूरी दिशा बदल जाती है।”
अनुष्का, मेंटर, JNU स्टूडेंट


 छात्रों की बातें:

“कोई मुझसे पूछता है कि मैं क्या बनना चाहती हूं — और मुझे रास्ता बताता है। मेरे स्कूल में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।”
श्रेया, कक्षा 10वीं

“मेरे मेंटर ने मुझसे कहा — ‘तू कर सकता है’। और तब मुझे यकीन हुआ कि शायद मैं वाकई कुछ कर सकता हूँ।”
आरव, कक्षा 12वीं


 योजना से जुड़ना कैसे होता है?

छात्रों के लिए:

  • दिल्ली के सरकारी स्कूलों में नामांकन के बाद स्कूल खुद बच्चों को स्कीम से जोड़ते हैं

मेंटर बनने के लिए:

  • www.deshkementor.com पर जाकर आवेदन करें

  • वेरिफिकेशन और ट्रेनिंग के बाद मेंटर बनाए जाते हैं

  • सभी कॉल्स गवर्नमेंट प्लेटफ़ॉर्म से होते हैं — सुरक्षित, गोपनीय और मॉनिटर किए जाते हैं


 यह सिर्फ एक स्कीम नहीं,

ये एक रिश्ता है — भरोसे का, सपनों का, और रास्ता दिखाने का।

कभी-कभी किसी की दो लाइन की सलाह,
किसी और की पूरी ज़िंदगी बदल देती है।

‘देश के मेंटर’ स्कीम उसी विश्वास पर खड़ी है।


अगर आप एक स्टूडेंट हैं 
तो बताइए, मैं आपकी पूरी मदद करूंगा। 

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