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ग्रेच्युटी क्या है? कर्मचारियों के लिए पूरी जानकारी (2025 अपडेट)

"ग्रेच्युटी योजना 2025 – सेवा के बाद कर्मचारियों को मिलने वाला लाभ"
"ग्रेच्युटी लाभ के जरिए सुरक्षित परिवार"

"ग्रेच्युटी: एक कर्मचारी के समर्पण का सम्मान और भविष्य की सुरक्षा"


परिचय: जीवन भर की सेवा का सम्मान

एक आम कर्मचारी की जिंदगी मेहनत, लगन और समर्पण से भरी होती है। हर दिन की शुरुआत समय पर दफ्तर पहुँचने से होती है और अंत थके-हारे लेकिन संतुष्ट चेहरे के साथ होता है। वर्षों तक एक ही संस्था या कंपनी के लिए कार्य करते हुए वह अपने जीवन के बहुमूल्य पल दे देता है। ऐसे में जब वह सेवानिवृत्त होता है या नौकरी छोड़ता है, तब "ग्रेच्युटी" (Gratuity) एक ऐसा आर्थिक सहारा बनती है, जो न केवल उसकी सेवाओं का सम्मान है, बल्कि उसके भविष्य का भरोसा भी।


ग्रेच्युटी क्या है?

ग्रेच्युटी एक तरह की आर्थिक अनुग्रह राशि है, जो कर्मचारी को तब दी जाती है जब उसने किसी संस्था में लगातार पांच या उससे अधिक वर्ष तक सेवा की हो और वह:

  • सेवानिवृत्त हो रहा हो

  • नौकरी छोड़ रहा हो (5 साल पूरे करने के बाद)

  • या दुर्भाग्यवश उसकी मृत्यु या स्थायी विकलांगता हो जाए

यह राशि नियोक्ता द्वारा दी जाती है और यह कर्मचारी के वेतन के कुछ हिस्से पर आधारित होती है।


किसे मिलती है ग्रेच्युटी?

ग्रेच्युटी पाने के लिए कुछ शर्तें होती हैं:

  1. कर्मचारी ने लगातार 5 साल सेवा की हो (मृत्यु/दुर्घटना के मामलों में छूट होती है)

  2. वह किसी संगठित क्षेत्र (Organized Sector) में काम करता हो, जहाँ 10 या उससे अधिक कर्मचारी हों।

  3. कर्मचारी नियमित (permanent/full-time) हो।


ग्रेच्युटी की गणना कैसे होती है?

सरकारी या प्राइवेट संस्थानों में ग्रेच्युटी की गणना इस फॉर्मूले से होती है:

ग्रेच्युटी = (पिछले कार्यरत महीने का अंतिम वेतन × सेवा वर्ष × 15) ÷ 26

यहाँ:

  • "अंतिम वेतन" = मूल वेतन + महंगाई भत्ता (DA)

  • 15 दिन का वेतन इसलिए, क्योंकि इसे 26 कार्यदिवस के आधार पर गणना की जाती है।

उदाहरण के लिए:
अगर अंतिम वेतन ₹30,000 है और सेवा 20 साल की रही, तो:

(30000 × 20 × 15) ÷ 26 = ₹3,46,153 (लगभग)

सरकार ने अधिकतम ग्रेच्युटी राशि को 20 लाख रुपये तक निर्धारित किया है।


ग्रेच्युटी – केवल पैसा नहीं, भावना है

ग्रेच्युटी का अर्थ केवल एक राशि नहीं है। यह उस रिश्ते का मूल्य है जो एक कर्मचारी और संस्था के बीच वर्षों तक बना रहा। यह उस समय की कद्र है जब कर्मचारी ने अपनी नींदें, अपनी परेशानियाँ और कभी-कभी अपनी खुशियाँ भी अपने कार्यस्थल के लिए कुर्बान की।

मध्य प्रदेश के एक सरकारी स्कूल में 32 साल पढ़ाने वाले रामकिशोर जी बताते हैं –
"जब मुझे सेवा निवृत्ति पर ग्रेच्युटी राशि मिली, तो मुझे लगा जैसे मेरी वर्षों की मेहनत का सच्चा मान मिला है। उस पैसों से मैंने अपनी बेटी की शादी अच्छे से करवाई और खुद के लिए एक छोटी सी बगिया भी खरीदी।"

ऐसे ही रानी देवी, जो एक अस्पताल में नर्स थीं, कहती हैं –
"मैंने अपनी पूरी जवानी अस्पताल में मरीजों की सेवा में लगा दी। जब रिटायर हुई तो ग्रेच्युटी से मुझे आत्मसम्मान महसूस हुआ कि मेरी सेवा को सिर्फ एक काम नहीं, एक योगदान माना गया।"


ग्रेच्युटी के लाभ:

  1. वित्तीय सुरक्षा: यह एकमुश्त राशि सेवानिवृत्ति के बाद जीवन जीने में सहायक होती है।

  2. बुजुर्गों की गरिमा बनाए रखना: आत्मनिर्भर रहने में मदद मिलती है।

  3. इमरजेंसी में सहारा: बीमारी, बेटी की शादी या घर के कामों में यह बड़ी राहत देती है।

  4. कर लाभ: ग्रेच्युटी राशि पर कुछ शर्तों के तहत टैक्स छूट भी मिलती है (Income Tax Act की धारा 10(10))।


क्या ग्रेच्युटी सभी को मिलती है?

नहीं, हर कर्मचारी को यह लाभ नहीं मिलता। असंगठित क्षेत्रों में आज भी लाखों लोग हैं जो 10-15 साल काम करने के बावजूद ग्रेच्युटी के अधिकार से वंचित हैं। विशेषकर कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स, दिहाड़ी मजदूर और घरेलू कामगार। यह चिंता का विषय है कि ऐसी मेहनतकश जनता को आज भी इस हक से दूर रखा गया है।


ग्रेच्युटी कानून (The Payment of Gratuity Act, 1972):

इस कानून के तहत:

  • हर संस्था जिसमें 10 या अधिक कर्मचारी हों, उन्हें अपने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी देना अनिवार्य है।

  • यदि कर्मचारी नौकरी छोड़ता है, रिटायर होता है या उसकी मृत्यु होती है, तब यह देय होता है।

  • कंपनी ग्रेच्युटी भुगतान से इनकार नहीं कर सकती जब तक कोई गंभीर अनुशासनहीनता न हुई हो।


कैसे करें दावा?

ग्रेच्युटी का दावा करने के लिए:

  1. Form I भरें और नियोक्ता को भेजें (सेवानिवृत्ति के 30 दिन के भीतर)

  2. नियोक्ता को 15 दिन के अंदर भुगतान करना होता है।

  3. यदि भुगतान न हो तो आप लेबर कमिश्नर से शिकायत कर सकते हैं।


डिजिटल युग में ग्रेच्युटी

अब कई कंपनियाँ ऑनलाइन ग्रेच्युटी कैलकुलेटर और क्लेम पोर्टल भी उपलब्ध करा रही हैं। EPFO सदस्य पोर्टल पर भी कुछ जानकारियाँ प्राप्त की जा सकती हैं। यह पारदर्शिता और प्रोसेस को आसान बनाता है।


निष्कर्ष: एक मुस्कान की कीमत

ग्रेच्युटी केवल एक कानूनी प्रावधान नहीं, बल्कि एक संस्था द्वारा अपने कर्मचारी को दिया गया सम्मान और आभार है। यह दिखाता है कि वर्षों की निष्ठा, ईमानदारी और मेहनत को केवल शब्दों में नहीं, बल्कि अर्थों में भी सराहा गया है।

सरकार और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर मेहनतकश को, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो, उसका यह सम्मानजनक हक अवश्य मिले।


 अगर आप चाहें तो:

Gratuity FAQ

ग्रेच्युटी से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQ)

1. ग्रेच्युटी क्या है?

ग्रेच्युटी एक प्रकार की सेवा समाप्ति पर मिलने वाली राशि है, जो संस्था द्वारा कर्मचारी को उनकी वर्षों की सेवा के बदले दी जाती है।

2. ग्रेच्युटी पाने के लिए कितने साल नौकरी करना जरूरी है?

कर्मचारी को कम से कम 5 वर्षों तक एक ही नियोक्ता के अधीन कार्य करना अनिवार्य होता है, मृत्यु/दुर्घटना की स्थिति में यह शर्त नहीं होती।

3. ग्रेच्युटी की गणना कैसे होती है?

गणना का फॉर्मूला है: (अंतिम वेतन × सेवा वर्ष × 15) ÷ 26। अधिकतम सीमा ₹20 लाख तक हो सकती है।

4. क्या ग्रेच्युटी पर टैक्स लगता है?

सरकारी कर्मचारियों की ग्रेच्युटी पूरी तरह टैक्स फ्री होती है। निजी क्षेत्र में ₹20 लाख तक की राशि टैक्स फ्री है।

5. अगर कंपनी ग्रेच्युटी न दे तो क्या करें?

आप लेबर कमिश्नर के पास शिकायत दर्ज कर सकते हैं या श्रम न्यायालय की मदद ले सकते हैं।

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