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सिविल कोर्ट में दावा कैसे करें? | जमीन, संपत्ति या अधिकार से जुड़े मामलों में मुकदमा दायर करने की प्रक्रिया

छवि जिसमें एक न्यायाधीश और वकील नागरिक न्यायालय में सुनवाई के दौरान मेज पर बैठे हैं, और न्यायाधीश न्यायालय में गंभीरता से विचार करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
सिविल कोर्ट केस प्रक्रिया

 सिविल कोर्ट में दावा (Civil Court Case) कैसे करें? – स्टेप बाय स्टेप गाइड

भारत में भूमि, संपत्ति या अन्य विवादों को हल करने का सबसे मजबूत तरीका है – सिविल कोर्ट में दावा (Civil Suit) दाखिल करना
लेकिन आम लोगों के लिए यह प्रक्रिया थोड़ी जटिल लग सकती है।
इस गाइड में हम इसे आसान भाषा और पॉइंट-बाय-पॉइंट समझेंगे।


 1. सिविल कोर्ट केस कब करना चाहिए?

  • जब आपकी जमीन/मकान पर कोई अवैध कब्ज़ा हो जाए।

  • जब सरकारी विभाग या अधिकारी आपकी सुनवाई न करें।

  • जब झूठे दस्तावेज़ों से कोई आपकी संपत्ति पर दावा कर ले।

  • जब वारिसाना संपत्ति (पैतृक संपत्ति) का बंटवारा न हो।

  • जब कोई पड़ोसी या अन्य व्यक्ति रास्ता, दीवार, नाली आदि रोक दे।

👉 Tip: कोर्ट तभी जाएँ जब प्रशासनिक उपाय (राजस्व विभाग / थाना शिकायत) बेअसर हों।


 2. सिविल कोर्ट में दायर किए जाने वाले मुख्य केस

केस का नाम उद्देश्य
Declaration Suit (घोषणा वाद) आपको वैध मालिक घोषित करवाने हेतु
Possession Suit (कब्ज़ा वाद) अपनी जमीन/मकान का कब्ज़ा वापस पाने हेतु
Injunction Suit (निषेधाज्ञा वाद) सामने वाले को निर्माण, बिक्री या नुकसान पहुँचाने से रोकने हेतु
Partition Suit (बंटवारा वाद) पैतृक संपत्ति का हिस्सेदारी तय करने हेतु
Specific Performance Suit जब कोई एग्रीमेंट/रजिस्ट्री का पालन न करे
Stay Order (अस्थायी रोक) तुरंत प्रभाव से विवादित कार्य रुकवाने हेतु

 3. केस करने से पहले जरूरी तैयारी

✔ जमीन/मकान के कागज़ात इकट्ठा करें
✔ खतियान, नक्शा, जमाबंदी, रसीद रखें
✔ गवाह, फोटो, वीडियो जैसे सबूत तैयार करें
✔ पहले राजस्व विभाग / थाने में आवेदन करें और उसकी कॉपी रखें
✔ वकील से सलाह लेकर ही केस की सही धारा चुनें

👉 Note: बिना सबूत के केस कमजोर हो जाता है।


 4. सिविल कोर्ट केस करने की प्रक्रिया

 Step 1: वकील से संपर्क करें

  • किसी सिविल वकील (Civil Lawyer) को केस समझाएँ

  • सभी दस्तावेज़ और तथ्य बताएँ

 Step 2: वाद पत्र (Plaint) तैयार कराएँ

  • इसमें ये जानकारी होती है:

    • पक्षकार (Plaintiff vs Defendant)

    • विवादित संपत्ति का विवरण

    • आपके अधिकार और उसका उल्लंघन कैसे हुआ

    • आप कोर्ट से क्या राहत चाहते हैं

 Step 3: कोर्ट फीस जमा करें

  • हर केस के लिए फीस अलग होती है

  • जमीन/मकान की कीमत के आधार पर तय होती है

 Step 4: वाद पत्र दाखिल करें

  • सिविल कोर्ट (Munsif Court / Sub-Judge Court / District Court) में

  • Registry Section में जाकर Plaint जमा करें

 Step 5: समन (Notice) जारी होता है

  • कोर्ट द्वारा विपक्षी पक्ष को बुलाने के लिए नोटिस भेजा जाता है

 Step 6: सुनवाई और गवाह

  • दोनों पक्ष अपने सबूत, गवाह और कागज़ पेश करते हैं

  • वकील जिरह (Cross Examination) करते हैं

 Step 7: फैसला (Judgment)

  • कोर्ट सबूत और कानून देखकर फैसला सुनाता है

  • कब्ज़ा दिलवाना, रोक लगाना, या मालिकाना हक़ देना – कोर्ट का आदेश मानना अनिवार्य होता है


 5. सिविल कोर्ट केस करने में लगने वाला समय

⏳ सामान्यत: 6 महीने से 3 साल लग सकते हैं
⏳ अगर अपील हो तो और लंबा समय लग सकता है
👉 इसलिए केस मजबूत दस्तावेज़ों के साथ करें, ताकि जल्दी न्याय मिले


 6. केस करने में लगने वाला खर्च

  • वकील की फीस (केस के प्रकार और वकील पर निर्भर)

  • कोर्ट फीस (स्टाम्प पेपर / जमीन मूल्य के अनुसार)

  • दस्तावेज़ टाइपिंग, फोटोकॉपी, और अन्य खर्च

👉 औसतन छोटे मामलों में ₹5,000–₹25,000 तक खर्च आ सकता है
👉 बड़े मामलों में लाखों तक भी हो सकता है


 7. केस करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

✔ सभी दस्तावेज़ पहले से व्यवस्थित करें
✔ गलत या झूठे कागज़ न लगाएँ
✔ केस में देरी न करें – समय पर आवेदन करें
✔ सही वकील चुनना बहुत जरूरी है
✔ अगर तत्काल खतरा है तो Stay Order अवश्य माँगें


 8. विकल्प (Alternative Dispute Resolution – ADR)

  • लोक अदालत (Lok Adalat) → जल्दी और सस्ता समाधान

  • मेडिएशन (Mediation) → दोनों पक्षों के बीच समझौता

  • आर्बिट्रेशन (Arbitration) → कोर्ट से बाहर कानूनी समाधान

👉 ADR से समय और पैसा दोनों बचता है


 9. बिहार में ऑनलाइन जानकारी कैसे लें?

  • बिहार न्यायालय वेबसाइट:
    👉 https://districts.ecourts.gov.in/

  • केस स्टेटस, सुनवाई की तारीख, और आदेश ऑनलाइन देख सकते हैं


 10. सिविल कोर्ट में दावा

  • सिविल कोर्ट केस करना गंभीर प्रक्रिया है

  • सही दस्तावेज़, सबूत और वकील ही सफलता दिलाते हैं

  • पहले प्रशासनिक उपाय करें, फिर कोर्ट जाएँ

  • जल्दी न्याय चाहिए तो Stay Order और Mediation का सहारा लें


 Quick Action Plan (Mobile Friendly)

  • ✔️ जमीन/मकान के कागज़ इकट्ठा करें

  • ✔️ पहले राजस्व विभाग/थाने में शिकायत करें

  • ✔️ वकील से सलाह लेकर Plaint तैयार करें

  • ✔️ कोर्ट फीस जमा करें और केस दाखिल करें

  • ✔️ Stay Order माँगें (अगर तुरंत रोक चाहिए)

  • ✔️ गवाह और सबूत पेश करें

  • ✔️ केस की तारीख पर नियमित रूप से उपस्थित रहें


 इस तरह आप सिविल कोर्ट में सही तरीके से दावा करके अपना हक़ वापस पा सकते हैं।

👉 और पढ़ें  नक्शा से सीमांकन (Demarcation) कैसे करवाएं?

जमीन का बंटवारा कैसे करें?   अवैध अतिक्रमण (Illegal Encroachment) क्या है?

#CivilCourt #LegalHelp #ZameenVivadh #ProgressIndia


FAQ Section

Q1. सिविल कोर्ट में दावा कब करना चाहिए?
👉 जब प्रशासनिक उपाय (राजस्व विभाग/थाना) काम न करें और संपत्ति विवाद गंभीर हो।

Q2. सिविल कोर्ट केस में कौन-कौन से केस होते हैं?
👉 Declaration Suit, Possession Suit, Injunction Suit, Partition Suit और Stay Order।

Q3. सिविल कोर्ट केस करने के लिए कौन से दस्तावेज़ जरूरी हैं?
👉 खतियान, जमाबंदी, नक्शा, रसीद, गवाह, फोटो, वीडियो और FIR की कॉपी।

Q4. सिविल कोर्ट केस में कितना समय लगता है?
👉 सामान्यत: 6 महीने से 3 साल, अपील होने पर और ज्यादा समय।

Q5. सिविल कोर्ट केस की लागत कितनी होती है?
👉 छोटे मामलों में ₹5,000 से ₹25,000 और बड़े मामलों में लाखों तक हो सकती है।

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