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मूल खतियान क्या होता है? | ज़मीन के पहले स्वामित्व का प्रमाण कैसे देखें | Progress India

एक पुराना खुला हुआ दस्तावेज़ मेज पर रखा है, जिसमें लिखित जानकारी है, पृष्ठभूमि में खिड़की और हरी पौधे दिखाई दे रहे हैं।
मूल खतियान

 मूल खतियान (Original Khatiyan) क्या है? – पूरी गाइड | Progress India


 मूल खतियान का मतलब

  • "खतियान" का मतलब है – जमीन का मालिकाना रिकॉर्ड

  • इसमें लिखा होता है कि जमीन किसके नाम पर दर्ज है, उसका खाता नंबर, खेसरा नंबर, क्षेत्रफल और मालिकाना हक।

  • मूल खतियान का अर्थ है – वह पहला और असली रिकॉर्ड जो जमीन के मालिक के नाम से सरकारी सर्वे के समय दर्ज हुआ था।

  • बाद में नामांतरण, दाखिल-खारिज या बंटवारे के बावजूद मूल खतियान जमीन की बुनियादी पहचान साबित करता है।


 मूल खतियान क्यों जरूरी है?

  • जमीन पर मालिकाना हक साबित करने के लिए

  • नामांतरण और दाखिल-खारिज में आधार दस्तावेज़

  • जमीन का बंटवारा करने में

  • कोर्ट केस या विवाद की स्थिति में

  • सरकारी योजना या मुआवज़ा लेने के समय

👉 बिना मूल खतियान के जमीन के हक़ को कानूनी तौर पर मजबूत तरीके से साबित करना मुश्किल हो सकता है।


 मूल खतियान में क्या-क्या लिखा होता है?

  1. खाता संख्या – मालिक की जमीन का यूनिक नंबर

  2. खेसरा संख्या – प्लॉट/पार्सल नंबर

  3. मालिक का नाम – जिस व्यक्ति के नाम पर सर्वे हुआ

  4. जमीन का क्षेत्रफल – कितने डिसमिल/कट्ठा/एकड़

  5. जमीन की किस्म – जैसे खेती, बागान, घर, पोखर आदि

  6. उपयोगकर्ता का नाम – अगर जमीन किसी और के कब्ज़े में है

  7. सर्वे का साल – कब यह खतियान तैयार हुआ था


 मूल खतियान और नकल खतियान में फर्क

मूल खतियान नकल खतियान
पहला और असली रिकॉर्ड मूल खतियान की कॉपी
सर्वे के समय दर्ज राजस्व विभाग से प्राप्त
कोर्ट में रेफरेंस के तौर पर प्रक्रिया और नामांतरण के लिए उपयोगी
केवल जिला अभिलेखागार में मिलता है ऑनलाइन या अंचल कार्यालय से मिल सकता है

 मूल खतियान कैसे प्राप्त करें?

👉 मूल खतियान सीधे हाथ में नहीं आता। यह जिला अभिलेखागार (District Record Room) में सुरक्षित रखा जाता है।

प्रक्रिया:

  1. आवेदन करें – जिला अभिलेखागार कार्यालय में

  2. जानकारी दें – मौजा, खाता संख्या, खेसरा संख्या, सर्वे किस्म (C.S./R.S.)

  3. फीस जमा करें – कॉपी निकालने के लिए

  4. सत्यापन होगा – अधिकारी जांच करेंगे

  5. प्रमाणित प्रति मिलेगी – जिसे कोर्ट या अन्य काम में मान्य माना जाएगा


 ऑनलाइन खतियान और मूल खतियान में अंतर

  • ऑनलाइन पोर्टल पर जो खतियान आप देखते हैं, वह अपडेटेड डिजिटल कॉपी होती है।

  • मूल खतियान केवल अभिलेखागार में ही सुरक्षित है।

  • कई बार विवाद की स्थिति में कोर्ट मूल खतियान की प्रमाणित प्रति मांगता है।

👉 इसलिए, ऑनलाइन कॉपी सिर्फ रेफरेंस है, जबकि मूल खतियान कानूनी दस्तावेज़ है।


 विवाद की स्थिति में मूल खतियान की भूमिका

  • अगर दो लोग एक ही जमीन पर दावा करते हैं, तो कोर्ट सबसे पहले मूल खतियान देखता है।

  • इससे पता चलता है कि जमीन शुरुआत में किसके नाम पर दर्ज थी।

  • कई बार फर्जी दस्तावेज़ या गलत नामांतरण को रद्द करने में भी यह मदद करता है।


 मूल खतियान प्राप्त करने के लिए जरूरी दस्तावेज़

  • आवेदन पत्र

  • पहचान पत्र (आधार / वोटर कार्ड)

  • मौजा, खाता संख्या और खेसरा संख्या की जानकारी

  • जमीन का नक्शा (यदि उपलब्ध हो)

  • नामांतरण/रसीद की कॉपी (सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट के लिए)


 मूल खतियान से जुड़ी सावधानियाँ

✔ केवल प्रमाणित कॉपी का ही इस्तेमाल करें
✔ कॉपी हमेशा जिला अभिलेखागार से ही प्राप्त करें
✔ नकली खतियान से बचने के लिए सरकारी मुहर और हस्ताक्षर जांचें
✔ पुराने विवादों में मूल खतियान ही सबसे मजबूत सबूत होता है


 आसान एक्शन-प्लान (Step by Step)

  1. पहले अपना ऑनलाइन खतियान चेक करें https://biharbhumi.bihar.gov.in/Biharbhumi/

  2. यदि विवाद या प्रमाण की जरूरत है → जिला अभिलेखागार जाएं

  3. वहाँ आवेदन करके प्रमाणित मूल खतियान की कॉपी लें

  4. जरूरत पड़ने पर इसे वकील या कोर्ट केस में प्रस्तुत करें

  5. हमेशा कॉपी को सुरक्षित रखें और डिजिटल स्कैन कर लें


 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

Q1. मूल खतियान क्या होता है?
👉 जमीन का पहला और असली रिकॉर्ड जो सर्वे के दौरान दर्ज किया गया था।

Q2. मूल खतियान कहां से मिलेगा?
👉 जिला अभिलेखागार (Record Room) से प्रमाणित प्रति के रूप में।

Q3. क्या ऑनलाइन खतियान और मूल खतियान एक ही है?
👉 नहीं। ऑनलाइन खतियान सिर्फ अपडेटेड कॉपी है, मूल खतियान केवल सरकारी अभिलेखागार में मिलता है।

Q4. कोर्ट केस में कौन सा खतियान मान्य है?
👉 कोर्ट अक्सर मूल खतियान की प्रमाणित कॉपी को सबसे मजबूत मानता है।

Q5. क्या मूल खतियान के बिना जमीन बेची जा सकती है?
👉 हाँ, लेकिन नामांतरण और विवाद के समय समस्या आ सकती है। इसलिए मूल खतियान की कॉपी सुरक्षित रखना बेहतर है।


 जिला अभिलेखागार खतियान

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